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श्री नरहरितीर्थ अष्टोत्तर शतनामानि 108 1) ओं नराय ... नमः 2) ओं हरये ... 3) ओं नरहरये ... 4) ओं नराणां हरये ... 5) ओं ईश्वराय ... 6) ओं नरनारायणात्मने 7) ओं नराणां गतये ... 8) ओं अच्युताय ... 9)ओं भरद्वाज कुलोद्भूताय ... 10) ओं भरद्वाज समाय 11) ओं असमाय ... 12) ओं गण्ड्लूरु वंशजाताय 13) ओं मान्याय ... 14) ओं गणेश समुपासकाय 15) ओं यायजूक कुलोत्पन्नाय 16) ओं यागसक्ताय ... 17) ओं यमिने ... 18) ओं दमिने ... 19) ओं नंजुण्ड तनयाय ... 20) ओं अनादये ... 21) ओं लक्ष्मी नरस पौत्रकाय 22) ओं सूरप्प पौंडरीकाख्य जन वंश भवाय ... 23) ओं अभवाय ... 24) ओं लक्ष्मीद्वय समाविष्टाय 25) ओं वंशद्वय सुपावनाय 26) ओं पञ्चायतन देवेश नित्योपासन तत्पराय 27) ओं सर्वस्व दान निरताय 28) ओं वेदान्त परिनिष्ठिताय 29) ओं निर्ममाय ... 30) ओं निरहङ्काराय ... 31) ओं विरक्ताय ... 32) ओं विजितेन्द्रियाय ... 33) ओं जयलक्ष्मी मनोनाथाय 34) ओं कर्णाट जन वन्दिताय 35) ओं सत्यनारायण पित्रे 36) ओं सत्यधिये ... 37) ओं सत्य तत्पराय ... 38) ओं सत्यवते ... 39) ओं सत्य संकल्पाय 40) ओं सत्यगाय ... 41) ओं सत्यसम्मताय 42) ओं बॊम्मेपर्ति ग्रामवासिने 43) ओं पण्डितग्राम मण्डिताय 44) ओं दैवज्ञाय ... 45) ओं कृतज्ञाय ... 46) ओं वैद्यज्ञाय ... 47) ओं विज्ञ पूजिताय ... 48) ओं मन्त्रज्ञाय ... 49) ओं मानिताय ... 50) ओं मन्त्रे ... 51) ओं ममत्व रहिताय 52) ओं महते ... 53) ओं गृहकृत्येष्वबद्धाय 54) ओं कर्माकर्म विदुत्तमाय 55) ओं निर्लिप्ताय ... 56) ओं निष्कलाय ... 57) ओं नित्याय ... 58) ओं निर्भयाय ... 59) ओं निश्चलाय ... 60) ओं निधये ... 61) ओं मुण्डिने ... 62) ओं दण्डिने ... 63) ओं सन्न्यासिने ... 64) ओं न्यस्तकामाय ... 65) ओं निरामयाय ... 66) ओं निरवद्याय ... 67) ओं नित्यसिद्धाय ... 68) ओं निर्विकल्पाय ... 69) ओं निरञ्जनाय ... 70) ओं योगिने ... 71) ओं त्यागिने ... 72) ओं सुखिने ... 73) ओं स्वामिने ... 74) ओं ज्ञानिने ... 75) ओं मौनिने ... 76) ओं शुभाश्रमिणे ... 77) ओं काषायवते ... 78) ओं योगपक्वाय ... 79) ओं विधिज्ञाय ... 80) ओं वेदविन्मताय ... 81) ओं सदेहाय ... 82) ओं विदेहाय ... 83) ओं सर्वदेहगताय 84) ओं विभवे ... 85) ओं मर्मज्ञाय ... 86) ओं श्रुति लिङ्गज्ञाय ... 87) ओं लिङ्गिने ... 88) ओं लिङ्ग प्रपूजिताय ... 89) ओं सर्वलिङ्ग प्रदाय ... 90) ओं लिङ्गिने ... 91) ओं लिङ्गात्मने ... 92) ओं लिङ्गमध्यगाय ... 93) ओं तीर्थपादाय ... 94) ओं तीर्थरूपिणे ... 95) ओं तीर्थनाम्ने ... 96) ओं तीर्थदाय ... 97) ओं जयलक्ष्मी क्षेत्रगामिने 98) ओं जयलक्ष्मी प्रदाय 99) ओं परमाय ... 100) ओं परमात्मने ... 101) ओं जीवात्मैक्य प्रबोधकाय 102) ओं शंभवे ... 103) ओं मयोभवे ... 104) ओं शंकराय ... 105) ओं मयस्कराय ... 106) ओं शिवाय ... 107) ओं शिवतराय ... 108) ओंश्री श्री नरहरीश्वराय श्री नरहरितीर्थ अष्टोत्तर शतनामावलि.स्समाप्ता ---- नरहरितीर्थ शतनाम स्तोत्रम् 108 4.01 नरो हरि र्नरहरि र्नराणांहरि रीश्वरः। 5 4.02 नरनारायणात्मा च नराणांगति रच्युतः।। 3 4.03 भरद्वाजकुलोद्भूतो भरद्वाजसमोसमः। 3 4.04 गण्ड्लूरुवंशजातश्च गणेशसमुपासकः।। 2 4.05 यायजूककुलोत्पन्नो यागसक्तो यमी दमी। 4 4.06 नंजुण्डतनयोनादि र्लक्ष्मीनरसपौत्रकः।। 3 4.07 सूरप्पपौंडरीकाख्य-जनवंशभवोभवः। 2 4.08 लक्ष्मीद्वयसमाविष्टो वंशद्वयसुपावनः।। 2 4.09 सर्वस्वदाननिरतो वेदान्तपरिनिष्ठितः।। 2 4.10 निर्ममो निरहङ्कारो विरक्तो विजितेन्द्रियः। 4 4.11 जयलक्ष्मीमनोनाथः कर्णाटजनवन्दितः ।। 2 4.12 सत्यनारायणपिता सत्यधी स्सत्यतत्परः। 3 4.13 सत्यवान् सत्यसंकल्प स्सत्यग स्सत्यसम्मतः।।4 4.14 बॊम्मेपर्तिग्रामवासी पण्डितग्राममण्डितः। 2 4.15 दैवज्ञश्च कृतज्ञश्च वैद्यज्ञो विज्ञपूजितः।। 4 4.16 मन्त्रज्ञो मानितो मन्ता ममत्वरहितो महान्। 5 4.17 गृहकृत्येष्वबद्धश्च कर्माकर्मविदुत्तमः।। 3 4.18 निर्लिप्तो निष्कलो नित्यो निर्भयो निश्चलो निधिः।6 4.19 मुण्डी दण्डी च सन्न्यासी न्यस्तकामो निरामयः।।5 4.20 निरवद्यो नित्यसिद्धो निर्विकल्पो निरञ्जनः। 4 4.21 योगी त्यागी सुखी स्वामी ज्ञानी मौनी शुभाश्रमी।।7 4.22 काषायवान् योगपक्वो विधिज्ञो वेदविन्मतः। 4 4.23 सदेहश्च विदेहश्च सर्वदेहगतो विभुः।। 4 4.24 मर्मज्ञो श्रुतिलिङ्गज्ञो लिङ्गी लिङ्गप्रपूजितः। 4 4.25 सर्वलिङ्गप्रदो लिङ्गी लिङ्गात्मा लिङ्गमध्यगः।।4 4.26 तीर्थपादो तीर्थरूपी तीर्थनामा च तीर्थदः। 4 4.27 जयलक्ष्मीक्षेत्रगामी जयलक्ष्मीप्रदः परः।। 3 4.28 परमात्मा गरिष्ठश्च जीवात्मैक्यप्रबोधकः।3 4.29 शंभू र्मयोभू श्श्रीरुद्र श्शंकरश्च मयस्करः।। 5 4.30 शिव श्शिवतरो देवः पायान्नरहरीश्वरः। 2 ==00==