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04 अ    01 None    05 None    01 काण्ड    01 प्रपा   

                        
                        
Jaya Deva Ashtapadi श्रितकमला-कुचमण्डल धृतकुण्डल। कलित-ललित-वनमाल जय जय देव हरे ।। दिनमणि-मण्डल-मण्डन भवखण्डन। मुनिजनमानस-हंस जय जय देव हरे ।। कालिय-विषधर-गञ्जन जनरञ्जन। यदुकुल नलिन दिनेश जय जय देव हरे ।। मधुमुर-नरकविनाशन गरुडासन। सुरकुल-केलिनिदान जय जय देव हरे ।। अमल-कमल-दललोचन भवमोचन। त्रिभुवन-भुवननिधान जय जय देव हरे ।। जनक-सुताकृतभूषण जितदूषण। समर-शमित-दशकण्ठ जय जय देव हरे ।। अभिनव-जलधर सुन्दर धृतमन्दर। श्रीमुख-चन्द्रचकोर जय जय देव हरे ।। तव चरणं प्रणता वयम् इति भावय। कुरु कुशलं प्रणतेषु जय जय देव हरे ।। श्रीजयदेव-कवेरिदं कुरुते मुदम्। मङ्गलमुज्ज्वल-गीतं जय जय देव हरे ।। इति श्रीजयदेव कवि विरचितम् मंगलगीतम् ==00==