Jaya Deva Ashtapadi
श्रितकमला-कुचमण्डल धृतकुण्डल।
कलित-ललित-वनमाल जय जय देव हरे ।।
दिनमणि-मण्डल-मण्डन भवखण्डन।
मुनिजनमानस-हंस जय जय देव हरे ।।
कालिय-विषधर-गञ्जन जनरञ्जन।
यदुकुल नलिन दिनेश जय जय देव हरे ।।
मधुमुर-नरकविनाशन गरुडासन।
सुरकुल-केलिनिदान जय जय देव हरे ।।
अमल-कमल-दललोचन भवमोचन।
त्रिभुवन-भुवननिधान जय जय देव हरे ।।
जनक-सुताकृतभूषण जितदूषण।
समर-शमित-दशकण्ठ जय जय देव हरे ।।
अभिनव-जलधर सुन्दर धृतमन्दर।
श्रीमुख-चन्द्रचकोर जय जय देव हरे ।।
तव चरणं प्रणता वयम् इति भावय।
कुरु कुशलं प्रणतेषु जय जय देव हरे ।।
श्रीजयदेव-कवेरिदं कुरुते मुदम्।
मङ्गलमुज्ज्वल-गीतं जय जय देव हरे ।।
इति श्रीजयदेव कवि विरचितम् मंगलगीतम्
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