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04 अ    01 None    02 None    02 काण्ड    02 प्रपा   

                        
                        
श्रीनिवास गद्यम् श्रीवेङ्कटाद्रि निलयः कमलाकामुकः पुमान्। अभङ्गुर विभूति.र्न-स्तरङ्गयतु मङ्गलम्।। • श्रीमदखिलमहीमण्डलमण्डनधरणिधर मण्डलाखण्डलस्य, • निखिलसुरासुरवन्दित वराहक्षेत्र विभूषणस्य, • शेषाचल गरुडाचल वृषभाचल नारायणाचलांजनाचलादि शिखरिमालाकुलस्य, • नादमुख बोधनिधिवीधिगुणसाभरण सत्त्वनिधि तत्त्वनिधि भक्तिगुणपूर्ण श्रीशैलपूर्ण गुणवशंवद परमपुरुषकृपापूर विभ्रमदतुङ्गशृङ्ग गलद्गगनगङ्गासमालिङ्गितस्य, • सीमातिग गुण रामानुजमुनि नामाङ्कित बहु भूमाश्रय सुरधामालय वनरामायत वनसीमापरिवृत विशङ्कटतट निरन्तर विजृम्भित भक्तिरस निर्झरानन्तार्याहार्य प्रस्रवणधारापूर विभ्रमद सलिलभरभरित महातटाक मण्डितस्य, • कलिकर्दम मलमर्दन कलितोद्यम विलसद्यम नियमादिम मुनिगणनिषेव्यमाण प्रत्यक्षीभवन्निजसलिल मज्जन नमज्जन निखिलपापनाशन पापनाशन तीर्थाध्यासितस्य, • मुरारिसेवक जरादिपीडित निरार्तिजीवन निराश भूसुर वरातिसुन्दर सुराङ्गनारति कराङ्गसौष्ठव कुमारताकृति कुमारतारक समापनोदय तनूनपातक महापदामय विहापनोदित सकलभुवन विदित कुमारधाराभिधानतीर्थाधिष्ठितस्य, • धरणितल गत सकल हतकलिल शुभसलिल गतबहुल विविधमल हति चतुर रुचिरतर विलोकनमात्र विदलित विविध महापातक स्वामिपुष्करिणी समेतस्य, • बहुसङ्कट नरकावट पतदुत्कट कलिकङ्कट कलुषोद्भट जनपातक विनिपातक रुचिनाटक करहाटक कलशाहृत कमलारत शुभमज्जन जलसज्जन भरभरित निजदुरित हतिनिरत जनसतत निरस्तनिरर्गल पेपीयमान सलिल सम्भृत विशङ्कट कटाहतीर्थ विभूषितस्य, • एवमादिम भूरिमंजिम सर्वपातक गर्वहातक सिंधुडम्बर हारिशम्बर विविधविपुल पुण्यतीर्थनिवह निवासस्य, • श्रीमतो वेङ्कटाचलस्य शिखरशेखरमहाकल्पशाखी खर्वीभवदति गर्वीकृत गुरुमेर्वीशगिरि मुखोर्वीधर कुलदर्वीकर दयितोर्वीधर शिखरोर्वी सतत सदूर्वीकृति चरणघन गर्वचर्वणनिपुण तनुकिरणमसृणित गिरिशिखर शेखरतरुनिकर तिमिरः, • वाणीपतिशर्वाणी दयितेन्द्राणीश्वर मुख नाणीयोरसवेणी निभशुभवाणी नुतमहिमाणी यस्तर कोणी भवदखिल भुवनभवनोदरः, • वैमानिकगुरु भूमाधिक गुण रामानुज कृतधामाकर करधामारि दरललामाच्छकनक दामायित निजरामालय नवकिसलयमय तोरणमालायित वनमालाधरः, • कालाम्बुद मालानिभ नीलालक जालावृत बालाब्ज सलीलामल फालाङ्कसमूलामृत धाराद्वयावधीरण धीरललिततर विशदतर घन घनसार मयोर्ध्वपुण्ड्र रेखाद्वयरुचिरः, • सुविकस्वर दलभास्वर कमलोदर गतमेदुर नवकेसर ततिभासुर परिपिंजर कनकाम्बर कलितादर ललितोदर तदालम्ब जम्भरिपु मणिस्तम्भ गम्भीरिमदम्भस्तम्भ समुज्जृम्भमाण पीवरोरुयुगल तदालम्ब पृथुल कदली मुकुल मदहरणजंघाल जंघायुगलः, • नव्यदल भव्यगल पीतमल शोणिमलसन्मृदुल सत्किसलयाश्रुजलकारि बल शोणतल पदकमल निजाश्रय बलबन्दीकृत शरदिन्दुमण्डली विभ्रमदादभ्र शुभ्र पुनर्भवाधिष्ठिताङ्गुलीगाढ निपीडित पद्मावनः, • जानुतलावधि लम्बि विडम्बित वारण शुण्डादण्ड विजृम्भित नीलमणिमय कल्पकशाखा विभ्रमदायि मृणाललतायत समुज्ज्वलतर कनकवलय वेल्लितैकतर बाहुदण्डयुगलः, • युगपदुदित कोटि खरकर हिमकर मण्डल जाज्वल्यमान सुदर्शन पाञ्चजन्य समुत्तुङ्गित शृङ्गापर बाहुयुगलः, • अभिनवशाण समुत्तेजित महामहा नीलखण्ड मदखण्डन निपुण नवीन परितप्त कार्तस्वर कवचित महनीय पृथुल सालग्राम परंपरा गुम्भित नाभिमण्डल पर्यन्त लम्बमान प्रालम्बदीप्ति समालम्बित विशाल वक्षःस्थलः, • गङ्गाझर तुङ्गाकृति भङ्गावलि भङ्गावह सौधावलि बाधावह धारानिभ हारावलि दूराहत गेहान्तर मोहावह महिम मसृणित महातिमिरः, • पिङ्गाकृति भृङ्गारु निभाङ्गार दलाङ्गामल नीष्कासित दुष्कार्यघ निष्कावलि दीपप्रभ नीपच्छवि तापप्रद कनकमालिका पिशङ्गित सर्वाङ्गः, • नवदलित दलवलित मृदुललित कमलतति मदविहति चतुरतर पृथुलतर सरसतर कनकसरमय रुचिरकंठिका कमनीयकंठः, • वाताशनाधिपति शयन कमन परिचरण रतिसमेताखिल फणधरतति मतिकर कनकमय नागाभरण परिवीताखिलाङ्गावगमित शयन भूताहिराज जातातिशयः, • रविकोटी परिपाटी धरकोटी रपताटी कितवाटी रसधाटी धरमणिगणकिरण विसरण सततविधुत तिमिरमोह गर्भगेहः, • अपरिमित विविधभुवन भरिताखण्ड ब्रह्माण्डमण्डल पिचण्डिलः, • आर्यधुर्यानन्तार्य पवित्र खनित्रपात पात्रीकृत निजचुबुक गतव्रणकिण विभूषण वहनसूचित श्रितजन वत्सलतातिशयः, • मड्डुडिण्डिम ढमरु जर्घर काहली पटहावली मृदुमर्द्दलादि मृदङ्ग दुन्दुभि ढक्किकामुख हृद्य वाद्यक मधुरमङ्गल नादमेदुर नाटारभि भूपाल बिलहरि मायामालव गौल असावेरी सावेरी शुद्धसावेरी देवगांधारी धन्यासी बेगड हिन्दुस्तानी कापी तोडि नाटकुरुंजी श्रीराग सहन अठाण सारङ्गी दर्बारु पन्तुवराली वराली कल्याणी भूरिकल्याणी यमुनाकल्याणी हुशेनी जंझोठी कौमारी कन्नड खरहरप्रिया कलहंस नादनामक्रिया मुखारी तोडी पुन्नागवराली काम्भोजी भैरवी यदुकुलकाम्भोजी आनन्दभैरवी शङ्कराभरण मोहन रेगुप्ती सौराष्ट्री नीलाम्बरी गुणक्रिया मेघगर्जनी हंसध्वनि शोकवराली मध्यमावती जेंजुरुटी सुरटी द्विजावन्ती मलयाम्बरी कापीपरशु धनासिरी देशिकतोडी आहिरी वसन्तगौली सन्तु केदारगौल कनकाङ्गी रत्नाङ्गी गानमूर्ती वनस्पती वाचस्पती दानवती मानरूपी सेनापती हनुमत्तोडी धेनुका नाटकप्रिया कोकिलप्रिया रूपवती गायकप्रिया वकुलाभरण चक्रवाक सूर्यकान्त हाटकाम्बरी झङ्कारध्वनी नटभैरवी कीरवाणी हरिकाम्भोदी धीरशङ्कराभरण नागानन्दिनी यागप्रियादि विसृमर सरस गानरुचिर सन्तत सन्तन्यमान नित्योत्सव पक्षोत्सव मासोत्सव संवत्सरोत्सवादि विविधोत्सव कृतानन्दः श्रीमदानन्दनिलय विमानवासः, • सतत पद्मालया पदपद्मरेणु सञ्चितवक्षस्तल पटवासः, श्रीश्रीनिवासः सुप्रसन्नो विजयतां. श्रीअलर्मेल्मङ्गा नायिकासमेतः श्रीश्रीनिवास स्वामी सुप्रीतः सुप्रसन्नो वरदो भूत्वा, • पवन पाटली पालाश बिल्व पुन्नाग चूत कदली चन्दन चंपक मंजुल मन्दार हिंजुलादि तिलक मातुलुङ्ग नारिकेल क्रौञ्चाशोक माधूकामलक हिन्दुक नागकेतक पूर्णकुन्द पूर्णगंध रस कन्द वन वंजुल खर्जूर साल कोविदार हिन्ताल पनस विकट वैकसवरुण तरुघमरण विचुलङ्काश्वत्थ यक्ष वसुध वर्माध मन्त्रिणी तिन्त्रिणी बोध न्यग्रोध घटवटल जम्बूमतल्ली वीरतचुल्ली वसति वासती जीवनी पोषणी प्रमुख निखिल सन्दोह तमाल माला महित विराजमान चषक मयूर हंस भारद्वाज कोकिल चक्रवाक कपोत गरुड नारायण नानाविध पक्षिजाति समूह ब्रह्म क्षत्रिय वैश्य शूद्र नानाजात्युद्भव देवता निर्माण माणिक्य वज्र वैढूर्य गोमेधिक पुष्यराग पद्मरागेन्द्र नील प्रवालमौक्तिक स्फटिक हेम रत्नखचित धगद्धगायमान रथ गज तुरग पदाति सेना समूह भेरी मद्दल मुरवक झल्लरी शंख काहल नृत्यगीत तालवाद्य कुम्भवाद्य पञ्चमुखवाद्य अहमीमार्गन्नटीवाद्य किटिकुन्तलवाद्य सुरटीचौण्डोवाद्य तिमिलकवितालवाद्य तक्कराग्रवाद्य घंटाताडन ब्रह्मताल समताल कॊट्टरीताल ढक्करीताल ऎक्काल धारावाद्य पटहकांस्यवाद्य भरतनाट्यालङ्कार किन्नॆर किंपुरुष रुद्रवीणा मुखवीणा वायुवीणा तुम्बुरुवीणा गांधर्ववीणा नारदवीणा स्वरमण्डल रावणहस्तवीणास्तक्रियालङ्क्रियालङ्कृतानेकविधवाद्य वापीकूपतटाकादि गङ्गायमुना रेवावरुणाशोणनदीशोभनदी सुवर्णमुखी वेगवती वेत्रवती क्षीरनदी बाहुनदी गरुडनदी कावेरी ताम्रपर्णी प्रमुखाः महापुण्यनद्यः सजलतीर्थैः सहोभयकूलङ्गत सदाप्रवाह ऋग्यजुस्सामाथर्वण वेदशास्त्रेतिहास पुराण सकलविद्याघोष भानुकोटिप्रकाश चन्द्रकोटि समान नित्यकल्याण परंपरोत्तरोत्तराभिवृद्धिर्भूयादिति भवन्तो महान्तोनुगृह्णन्तु, ब्रह्मण्यो राजा धार्मिकोस्तु, देशोयं निरुपद्रवोस्तु, सर्वे साधुजनास्सुखिनो विलसन्तु, समस्तसन्मङ्गलानि सन्तु, उत्तरोत्तराभिवृद्धिरस्तु, सकलकल्याण समृद्धिरस्तु. हरिः ओम्। ==00==