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सुब्रह्मण्य स्वामि पूजा विधानम् > ध्यानम् – षडाननं कुंकुम रक्तवर्णं महामतिं दिव्य मयूरवाहम्। रुद्रस्य सूनुं सुरसैन्यनाथं गुहं सदाहं शरणं प्रपद्ये।। कुमारेशसूनो गुह स्कन्द सेना – पते शक्तिपाणे मयूराधिरूढ। पुलिंदात्मजाकान्त भक्तार्तिहारिन् प्रभो तारकारे सदा रक्षमां त्वम्।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। ध्यायामि, ध्यानं समर्पयामि।। > आवाहनम् – आवाहयामि देवेश सिद्ध गंधर्व सेवित। तारकासुर संहारिन् रक्षो बल विमर्दन।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः।। आवाहयामि, आवाहनं समर्पयामि।। > आसनम् – ईशसूनो शक्तिधारिन् कुमार क्रौंचदारण। इदं सिंहासनं दिव्यं गृह्यतां शंकरात्मज।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। नवरत्न खचित सिंहासनं समर्पयामि।। > पाद्यम् – गंगा जलसमायुक्तं सुगन्धं गन्ध संयुतम्। पाद्यं प्रतिगृहाण त्वं पार्वती प्रिय नंदन।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। पादारविन्दयो पाद्यं समर्पयामि।। > अर्घ्यम् – स्कंदो गुह ष्षण्मुखश्च फालनेत्रसुत प्रभुः। अर्घ्यं दास्यामि ते देव शिखिवाह द्विषड्भुज।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। हस्तयोः अर्घ्यं समर्पयामि।। > आचमनीयम् – देवसेना पति प्राज्ञ कृपाळु र्भक्तवत्सलः। आचम्यतां महासेन गङ्गासुत नमोस्तुते।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। मुखे शुद्ध आचमनीयं समर्पयामि।। > पञ्चामृत स्नानम् – पयोदधि समायुक्तं घृतशर्करया युतम्। पञ्चामृत स्नान मिदं गृहाण सुरपूजित।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। पञ्चामृत स्नानं समर्पयामि।। > स्नानम् – नदीनां देव सर्वासा मानीतं निर्मलोदकम्। स्नपयामि महासेन तथा शान्तिं कुरुष्व मे।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। स्नानं समर्पयामि।। > वस्त्रम् – महासेन कार्तिकेयो महाशक्तिधरो गुहः। वस्त्रं सूक्ष्मं गृहाण त्वं सर्वदेव नमस्कृत।। > यज्ञोपवीतम् – नानारत्न स्वर्णयुक्तं त्रिवृतं ब्रह्मसूत्रकम्। उपवीतं मया दत्तं संगृहाण सुरेश्वर।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। यज्ञोपवीतं समर्पयामि।। > चन्दनम् – श्रीगन्धागरु कर्पूर कस्तूरी कुङ्कुमान्वितम्। विलेपनं सुरश्रेष्ठ प्रीत्यर्थं प्रतिगृह्यताम्।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। दिव्य श्री चन्दनम् समर्पयामि।। > अक्षताः – शालीयै श्चन्द्रवर्णैश्च हरिद्राक्तै स्सुशोभनैः। अक्षतै पूजयामि त्वां गृहाण सुरवन्दित।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। अक्षतान् समर्पयामि।। > आभरणम् – भूषणानि विचित्राणि हेम रत्नमयानि च। गृहाण भुवनाधार भुक्ति मुक्ति फलप्रद।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। आभरणानि समर्पयामि।। > पुष्पम् – सुगन्धीनि सुपुष्पाणि केतकी चंपकानि च। मयाहृतानि पूजार्थं कृपया प्रतिगृह्यताम्।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। पुष्पै पूजयामि।। > श्री सुब्रह्मण्याष्टोत्तर शतनामावळिः 1. ओं स्कन्दाय नमः 2. ओं गुहाय नमः 3. ओं षण्मुखाय नमः 4. ओं फालनेत्र सुताय नमः 5. ओं प्रभवे नमः 6. ओं पिङ्गळाय नमः 7. ओं कृत्तिका सूनवे नमः 8. ओं शिखिवाहनाय नमः 9. ओं द्विषड्भुजाय नमः 10. ओं द्विषण्णेत्राय नमः 11. ओं शक्तिधराय नमः 12. ओं पिशिताश प्रभंजनाय 13. ओं तारकासुर संहर्त्रे नमः 14. ओं रक्षोबल विमर्दनाय 15. ओं मत्ताय नमः 16. ओं प्रमत्ताय नमः 17. ओं उन्मत्ताय नमः 18. ओं सुरसैन्य सुरक्षकाय 19. ओं देवसेना पतये नमः 20. ओं प्राज्ञाय नमः 21. ओं कृपाळवे नमः 22. ओं भक्तवत्सलाय नमः 23. ओं उमासुताय नमः 24. ओं शक्तिधराय नमः 25. ओं कुमाराय नमः 26. ओं क्रौञ्चदारणाय नमः 27. ओं सेनान्ये नमः 28. ओं अग्निजन्मने नमः 29. ओं विशिखाय नमः 30. ओं शंकरात्मजाय नमः 31. ओं शिव स्वामिने नमः 32. ओं गण स्वामिने नमः 33. ओं सर्व स्वामिने नमः 34. ओं सनातनाय नमः 35. ओं अनन्त शक्तये नमः 36. ओं अक्षोभ्याय नमः 37. ओं पार्वती प्रियनन्दनाय 38. ओं गङ्गासुताय नमः 39. ओं शरोद्भूताय नमः 40. ओं आहूताय नमः 41. ओं पावकात्मजाय नमः 42. ओं जृम्भाय नमः 43. ओं प्रजृम्भाय नमः 44. ओं उज्जृम्भाय नमः 45. ओं कमलासन संस्तुताय 46. ओं एकवर्णाय नमः 47. ओं द्विवर्णाय नमः 48. ओं त्रिवर्णाय नमः 49. ओं सुमनोहराय नमः 50. ओं चतुर्वर्णाय नमः 51. ओं पञ्चवर्णाय नमः 52. ओं प्रजापतये नमः 53. ओं अहर्पतये नमः 54. ओं अग्निगर्भाय नमः 55. ओं शमीगर्भाय नमः 56. ओं विश्वरेतसे नमः 57. ओं सुरारिघ्ने नमः 58. ओं हरिद्वर्णाय नमः 59. ओं शुभकराय नमः 60. ओं वटवे नवमः 61. ओं वटुवेष भृते नमः 62. ओं पूष्णे नमः 63. ओं गभस्तये नमः 64. ओं गहनाय नमः 65. ओं चन्द्रवर्णाय नमः 66. ओं कळाधराय नमः 67. ओं मायाधराय नमः 68. ओं महामायिने नमः 69. ओं कैवल्याय नमः 70. ओं शङ्करात्मजाय नमः 71. ओं विश्वयोनये नमः 72. ओं अमेयात्मने नमः 73. ओं तेजोनिधये नमः 74. ओं अनामयाय नमः 75. ओं परमेष्ठिने नमः 76. ओं परब्रह्मणे नमः 77. ओं वेदगर्भाय नमः 78. ओं विराट्सुताय नमः 79. ओं पुलिंदकन्या भर्त्रे नमः 80. ओं महासारस्वतावृताय 81. ओं आश्रिताखिल दात्रे नमः 82. ओं चोरघ्नाय नमः 83. ओं रोगनाशनाय नमः 84. ओं अनन्त मूर्तये नमः 85. ओं आनन्दाय नमः 86. ओं शिखण्डि कृतकेतनाय 87. ओं दंभाय नमः 88. ओं परमदंभाय नमः 89. ओं महा दंभाय नमः 90. ओं वृषाकपये नमः 91. ओं कारणोपात्त देहाय 92. ओं कारणातीत विग्रहाय 93. ओं अनीश्वराय नमः 94. ओं अमृताय नमः 95. ओं प्राणाय नमः 96. ओं प्राणायाम परायणाय नमः 97. ओं विरुद्धहन्त्रे नमः 98. ओं वीरघ्नाय नमः 99. ओं रक्तास्याय नमः 100. ओं श्यामकन्धराय नमः 101. ओं सुब्रह्मण्याय नमः 102. ओं गुहाय नमः 103. ओं प्रीताय नमः 104. ओं ब्रह्मण्याय नमः 105. ओं ब्राह्मण प्रियाय 106. ओं वेदवेद्याय नमः 107. ओं अक्षय फलदाय नमः 108. ओं श्री वल्लीदेवसेना समेत श्री सुब्रह्मण्याय नमः --- > धूपम् – दशाङ्गं गुग्गुलोपेतं सुगन्धं सुमनोहरं। धूपं गृहाण देवेश सर्वदेव नमस्कृत।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। धूप माघ्रापयामि।। > दीपः – सन्दर्शयामि दीपं ते गृहाण सुरसेवित। अज्ञानं नाशयित्वा च ज्ञान सिद्धि प्रदो भव।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। दीपं दर्शयामि।। > नैवेद्यम् – भक्ष्यै र्भोज्यै स्सचोष्यैश्च परमान्नेन संयुतम्। नैवेद्यं गृह्यतां देव शम्भुपुत्र नमोस्तुते।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। नैवेद्यं निवेदयामि।। > ताम्बूलम् – ताम्बूलं च सकर्पूरं नागवल्ली दळैर्युतम्। पूगीफल समायुक्तं ताम्बूलं प्रतिगृह्यताम्।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। ताम्बूलं समर्पयामि।। > नीराजनम् – कर्पूर वर्ति संयुक्तं दीप्यमान मनोहरम्। नीराजनं ददे तुभ्यं मङ्गळं कुरु सर्वदा।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। मङ्गळ नीराजनं संदर्शयामि।। > मंत्रपुष्पम् – मंत्र पुष्पं प्रदास्यामि षाण्मातुर सुराधिप। परमेश्वर पुत्रस्त्वं सुप्रीतो भव सर्वदा।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। मन्त्र पुष्पाणि समर्पयामि।। > प्रदक्षिण नमस्कारः - प्रदक्षिणं करिष्यामि सर्वदेव नमस्कृत। प्रसादं कुरु मे देव सर्वपाप हरो भव।। श्री सुब्रह्मण्य स्वामिने नमः। आत्म प्रदक्षिण नमस्कारान् समर्पयामि।। > क्षमा प्रार्थनम्– यस्य स्मृत्या च नामोक्त्या तप पूजा क्रियादिषु। न्यूनं संपूर्णतां याति सद्यो वन्दे तमच्युतम्।। मन्त्र हीनं क्रियाहीनं भक्ति हीनं सुरेश्वर। यत्पूजितं मायादेव परिपूर्णं तदस्तुते।। > अर्पणम् – अनाया ध्यानावाहनादि षोडशोपचार पूजया भगवान् सर्वात्मकः, श्री सुब्रह्मण्य स्वामी सुप्रीत स्सप्रसन्नो वरदो भवतु।। एतत् फलं श्री परमेश्वरार्पणमस्तु।। श्री सुब्रह्मण्य पूजा विधानं समाप्तम्।। ==00==