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03 सा    02 None    04 None    01 काण्ड    01 प्रपा   

                        
                        
विश्वेश्वर दर्शन कर चल (Bhajan) (By Swati Tirunal) विश्वेश्वर दर्शन कर चल मन तुम काशी || विश्वेश्वर दर्शन जब कीन्हो बहु प्रेम सहित काटे करुणा निदान जनन मरण फास भहती जिनकी पुरी मो गंगा पय कॆ समान वा कॆ तट घाट घाट भर राहे संन्यासि भस्म अंग भुज त्रिशूल और मे लासे नाग मायि गिरिजा अर्धांग धरे त्रिभुवन जिन दासी पद्मनाभ कमलनयन त्रिनयन शंभू महेश भज ले ये दो स्वरूप रहले अविनाशि ==00==